Monday, 20 September 2021

जब अच्छा करने पर भी दिल दुखे तो क्या करें



जब अच्छा करने पर भी दिल दुखे तो क्या करें 

 

When people dislike you even when you do good to them

What should you do when people hurt you

 

जीवन मे अक्सर ऐसा होता है कि हम अच्छा करते हैं पर बदले मे हमे बुराई मिलती है कभी ऐसा होता है कि जिसके साथ अच्छा किया वो कुछ गलत शब्द हमारे लिए कहता है और कभी ऐसा होता है कि लोग काम होने के बाद भूल जाते हैं, और दोबारा काम पड़ने पर ही याद करते हैं  

 














  जब हम किसी के लिए अच्छा करें, भलाई करें, फिर भी आपको बदले मे बुराई सुन ने को मिले तो क्या करें। तारीफ के बदले कोई कमी निकाले तो क्या करें।

       हमारा स्वभाव है अच्छा करने का, दूसरे का स्वभाव है बुरा करने का किसी का अच्छा तब ही करें जब ऐसा करने से खुद को अच्छा महसूस होता हो। वरना उस व्यक्ति की तरफ से neutral या तटस्थ हो जाएँ। इस से आपका दिल नहीं दुखेगा। 

      जब भी कभी ऐसा हो, तो ये जान लें की आपके emotions उस व्यक्ति के कंट्रोल मे हैं, आपके कंट्रोल मे नहीं। और वह जब चाहे आपको दुखी या खुश कर सकता है। ये स्तिथि  कोई खास अच्छी नहीं है। ये आपके मन की शांति को खराब कर सकती है। 

-    जब दूसरों को यह पता होता है तो कई बार वे आपको कंट्रोल करके आपका फायदा भी उठाते हैं अगर ये लोग आपके अपने हैं तो दायित्व पूरे करें पर मन मे ना लें , ना ही किसी प्रकार की अच्छाई की उम्मीद करे  


-   दूसरे
को अपनी आखो से देखने की आदत है, आपको अपनी। अगर आपका मन अच्छा है तो आपको अच्छा ही दिखेगा, और दूसरे को बुरा चाहे आप कितना भी अच्छा क्यू कर ले  , क्यूकी ये उस व्यक्ति और आपके  स्वभाव पर निर्भर करता है व्यक्ति अपने स्वभाव नहीं छोड़ते। 


-    कभी कभी ये बुरा बोलने वाले आपके अपने घर मे ही होते हैं। इस से दिल ज़्यादा दुखता है। बाहर कोई कुछ भी बोल दे वो आपको ज़्यादा अफफेक्ट नहीं करता। पर आपके अपने जब दिल दुखाते हैं तब ज़्यादा बुरा लगता है। जब ऐसी कंडिशन मे आप होते हैं तो यकीन मानिए ईश्वर चाहता है की आप तारीफ  के चार बोल की इच्छा से बाहर निकाल आगे कुछ करें और अपनी खुशी अपने भीतर ही ढूँढे और ऐसी असीम शांति तो पा लें जिसको कोई डिस्टर्ब नहीं कर सकता आपको कोई खुश या दुखी नहीं कर सकता आपके जब इस स्तिथि मे जाते हैं तो सबसे साथ होकर भी और ना होकर भी आनंद मे रहने लगते हैं  


o    अगर आपको ऐसा लगता है कि मुझे ही बुरे लोग क्यों मिलते हैं तो ये जान लीजिए कि आप अकेले नही हैं। अगर आपको विश्वास हो तो किसी भी इंसान से पूछ लें कि क्या उसका दिल लोगो ने दुखाया है। क्या उसको अच्छे लोग कम और बुरे लोग ज़्यादा मिले हैं। सबका जवाब हाँ में ही आएगा। 

o    तो इसका मतलब ये दोष हम सबमे है। कही ना कही हम सब अच्छे और बुरे हैं किसी ना किसी के लिए। 


o    ईश्वर के अलावा कोई परफेक्ट नहीं है, सबमे कुछ ना कुछ दोष ज़रूर है। इस बात को हम जितना जल्दी एक्सेप्ट कर लें उतना ही अच्छा है। जब हम ऐसा कर लेंगे तो हम स्वीकार कर पाएंगे सबको उनके गुण दोष के साथ। 


o    वास्तव में मनुष्य हर जगह ईश्वर को ही ढूंढता है। उसकी चित्त वृत्ति जाने अनजाने ईश्वर की ओर ही होती है। शांति, उल्लास, प्रेम, ज्ञान, परफेक्शन , कभी ना छूटने वाला साथ, ये सब ईश्वर के ही गुण हैं। पर हम जब अपूर्ण में पूर्णता को ढूँढ़ते हैं तब दुखी होते हैं। 


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