Wednesday 2 February 2022

जब गहरे अवसाद से गुजरे तो क्या करें



जीवन मे कभी कभी ऐसा समय आता है जब हमे कोई बहुत बड़ा झटका लगता है और ऐसा लगता है जैसे आसमान टूट गया है । जैसे हम एकदम से अकेले हो गए हैं और दूर दूर तक कोई रास्ता नज़र नहीं आता है । 


ऐसे मे हमारी हिम्मत पूरी टूट जाती है और हम समझ भी नहीं पाते हैं की अब क्या करें। ऐसे मे जिनसे हमे साथ की उम्मीद होती है वो लोग सबसे पहले साथ छोड़ कर जाते हैं , और हमारे पास कोई गिनती के ही लोग बचते हैं जो कुछ न भी कर पाएँ हमारे लिए , पर हमारे साथ ज़रूर होते हैं । 



अगर आपके पास कोई एक भी ऐसा रिश्ता है जो या तो आप पर निर्भर है या फिर आपके साथ है तो आप भाग्यशाली ही कहलाएंगे । 

ऐसे काफी सारे अवसरो पर अक्सर लोग पूरी तरह से अकेले हो जाते हैं । 

हम पूरब की सभ्यता के लोग फिर भी इस लिहाज से अच्छे हैं की हमारे पास अपने परिवार होते हैं जो हमारे साथ अक्सर खड़े होते हैं । 


हम चाहे कितने भी बड़े हो जाए , खुद के परिवार बना ले, फिर भी हमारे पीछे माता पिता , भाई बहिन का एक अद्भुत सपोर्ट सिस्टम खड़ा होता है जो हमरे संभाल लेता है । पश्चिम के देशो मे इस लिहाज से बहुत ही भयावह स्तिथि  है जहां बच्चे माता पिता को छोड़ 20 की उम्र मे अपने जीवन की पूरी बागडोर अपने हाथ मे ले लेते हैं और उनसे दूर हो जाते हैं । वहाँ के टूटे और बिखरे परिवार भी इसकी एक बड़ी वजह हैं । 




हाँ तो अब ऐसे समय मे हम खुद को कैसे संभाले ये एक बड़ा प्रश्न है । सबसे पहले तो हमे ऐसे समय मे ईश्वर को धन्यवाद देना चाहिए की हमारे पास कुछ न होते हुए भी कोई न कोई रिश्ते ज़रूर हैं । 

और इन्हीं रिश्तो के सहारे हम इस दुख से उबर भी जाएंगे , और फिर से इन्हीं के लिए जी भी जाएंगे । 

अगर आप भी किसी बड़े तूफान से किसी समय गुज़र रहे हो तो उस समय मे अपना धैर्य ना खोये । आपके साथ जो भी हुआ हो, यकीन रखिए कि आपके अंदर से ही  ही इस से लड़ पाने की हिम्मत भी आएगी। 

आपको बस इस बुरे समय को किसी तरह से निकालना है । जब भी हमारे जीवन मे कोई बड़ा संकट, कोई गहरा दुख आता है तो कुछ समय के लिए हमारा दिमाग काम करना बंद कर देता है। क्योकि वो शॉक (shock) की अवस्था (state) मे आ जाता है। 

 वो किसी ऐसी स्थिति को झेल रहा होता है जिस से डील करने के लिए वो प्रोग्राम्ड (programmed) नहीं है , उसके पास ट्रेनिंग नहीं है । जब यह समय थोड़ा निकल जाता है तब हमारे अंदर थोड़ी हिम्मत आती है और हम उस मानसिक स्तिथि  से बाहर आने लगते हैं । 

इंसान का दिमाग हर प्रकार के दुख से निकलने की श्रमता रखता है बस उसको थोड़ा समय चाहिए होता है । 

यह कह देना तो बहुत आसान है की आप सब्र रखे , धैर्य रखे , पर कर पाना बहुत मुश्किल। ऐसे समय मे दिमाग को हम जितना शांत करने की कोशिश करते हैं वो उतना ही वाचाल, उतना ही डिस्टर्ब हो जाता है । 

पर एक बात हमे जान लेनी ज़रूरी है कि इस समय जब आपके साथ कुछ गलत हो रहा है तब आप आप अकेले नहीं है जो इस बुरे दौर से गुज़र रहे हैं। दुनिया मे बहुत से लोग इसी समय मे आपके जैसी ही समस्या से जूझ रहे हैं। आपको खुद को बस थोड़ा वक्त देना होगा । आप हर परिस्त्तिथि (situation) से अब तक निकले हैं तो इस से भी निकल ही जाएंगे । 

पर जब तक आपको थोड़ा मन का सुकून नहीं मिल जाता है तब तक आपको खुद को शांत रखना होगा। इसके लिए कुछ चीजे आपके काम आएंगी 

- अगर आपका अकेले रहने का मन कर रहा है और बाहर जाने पर भी अच्छा नहीं लग रहा तो आप कुछ समय खुद के साथ रहें । पर अगर आप ज़्यादा डिप्रेशन मे, अवसाद मे हो , तो किसी न किसी के साथ रहें । 

कभी कभी खुद के साथ और अपने दुख के साथ रहना भी ज़रूरी होता है । एक निश्चित समय के बाद जब आप मन से थोड़े तैयार हो जाएँ तब बाहर निकलना शुरू करें । 

- भरपूर नींद लें। जितना हो सके सोये, सोने से मन शांत होता है । आपके शरीर और मन दोनों को आराम मिलता है । 

- आपको ऐसे समय मे भूख, प्यास सबसे पहले खत्म होती है , पर याद रखे कि आपको अपने शरीर को चलाना ही होगा । इसलिए जैसे भी हो अपनी सेहत का ज़रूर ध्यान रखे और उचित आहार लें। घर का शुद्ध खाना खाये, जिस से आपको पोषण पूरा मिलता रहे । 

- अगर आप घर मे बिलकुल अकेले रहते हों तो अकेले ना रहें । अकेले हो तो किसी दोस्त को साथ रहने को बुला लें या खुद किसी के साथ रह ले। उस से आपको एकदम अकेलापन नहीं लगेगा । अगर संभव हो तो कुछ समय को अपने घर परिवार के पास चले जाए । 

- किसी मित्र, परिवार के सदस्य से बात करें और अपनी स्तिथि से अवगत करवाए, एवं मदद मांगे ।  

 इसमे कोई बुरी बात नहीं है । आज जिस स्थिति से आप गुज़र रहे हैं हो सकता है कल को वो भी गुजरे , तो ऐसे मे उनको भी आपके साथ की ज़रूरत पड़ेगी, तब आप भी तो उनके साथ होंगे । आखिर रिश्ते इसीलिए होते हैं, तो मदद लेने मे हिचकिचाये नहीं । बात करने से हमारा मन काफी हद तक हल्का होता है और हमको बेहतर लगता है । 

- कुछ समय प्रकृति के साथ बिताएँ - प्रकृति मे सृजन करने की , आपके घावों को भरने की , damage repair और heel करने की ज़बरदस्त श्रमता होती है । किसी भी प्रकार से प्रकृति के सानिध्य मे रहना आपको लाभ देता है । इसलिए घूमने जाये , या पानी के पास बैठें , या फिर कुछ पौधों के साथ काम करें आपको अच्छा महसूस होगा । 

- थोड़ा पसीना बहाएँ - जब हम किसी प्रकार की शारीरिक कसरत करते हैं तो एंडोर्फीन  (endorphins) जैसे अच्छे हॉर्मोन्स का संचार होता है जो दर्द कम करता है और हमको खुशी का एहसास करवाता है। इसलिए अगर बहुत दुखी हों तो शरीर के साथ कुछ देर कड़ी मेहनत करें। जब आप थक जाते हैं तो आपका मन भी शांत हो जाता है और सोचना बंद करता है । इस से आपको शांति का एहसास होने लगता है ।