Thursday 22 June 2017

फ़ीनिक्स (PHOENIX) की चिड़िया ...... I



हम सभी आम लोग हैं . ज़ाहिर है, हमारी कहानी भी आम ही है . पर इस आम सी कहानी में अक्सर कुछ खास हिम्मत छुपी हुई होती है . और यही आम से दिखने वाले चेहरे कुछ खास काम कर जाते हैं . हम सब phoenix चिड़िया हैं शायद . आप फ़ीनिक्स चिड़िया के बारे में जानते ही होंगे ना .

Phoenix by guillaume-phoenix






वो चिड़िया जो अपने ही पंखों की आग में जल जाती है और फिर उस राख में से उठकर ज़िन्दा हो जाती है . हम सब भी तो ऐसे ही हैं न . ज़िंदगी हमे गिराती है , दबाती  है, तोड़ती है , और हम फिर से उन टुकड़ो को समेट  कर खुद को जोड़ते हैं और उठ के खड़े होते हैं . प्रकृति ने भी इन्सान को क्या ग़जब की reselience power  दी है ना . इन्सान की झेल सकने की श्रमता ….. हर condition में भी adapt हो जाने की, ढल जाने की खूबी . प्रकृति में हर कोई ऐसा नहीं कर सकता. हर प्रकार के माहौल में इन्सान survive  कर सकता है.
इस से एक कहानी याद आती है.  आशा-एक अमरबेल. एक आदमी के दो बच्चे होते हैं पर उनकी माँ सौतेली होती है . तो एक बार उनके गाँव में अकाल पड़ता है . आदमी के लिए सबका पेट पालना मुश्किल हो जाता है . तब उसकी पत्नी उसको मनाती है कि इन बच्चों को हम यही घर में बंद करके दूसरे शहर में चलते हैं . जब सब सही हो जाएगा वापस आ जाएँगे. उसको लगा की बच्चे भूख से तड़प कर मर जाएँगे इस से उसका उनसे पीछा भी छूट जाएगा . पिता किसी तरह मान जाता है . वो बच्चों के लिए कुछ सत्तू और पानी रख कर चले जाते हैं.
 
Image Artist: Poonam K Rangan

 दोनों भाई बहिन इंतज़ार करते रहते हैं . इस तरह कई दिन निकल जाते हैं. एक साल बाद दोनों पति पत्नी जब आते हैं और कमरा खोलते हैं दोनों बच्चे जिंदा बाहर निकल आते हैं. इस आशा के सहारे की उनके माता पिता जल्दी ही आ जाएँगे वो दोनों एक साल निकाल देते हैं.
हालांकि  आप ये कह सकते हैं की ये तो बस एक कहानी ही हैं. हाँ है. पर ये कहानियाँ भी तो हमारे आस पास से ही निकल कर आती हैं. ऐसा तो नहीं है की इनमे कोई सच्चाई ही नहीं है. रोज़ कुछ न कुछ अजीबोगरीब घटनायें होती ही  रहती हैं . कुछ साल पहले दो बहनों की खबर आई थी जो बिना कुछ खाए पिए महीनों एक घर में पड़ी रही थी. शरीर बेजान हो गया था उनका.
इस सारी बात का सार उस आशा , उस विश्वास से है जिसकी डोर के सहारे इन्सान का जीवन चलता है . ईश्वर में विश्वास, खुद में विश्वास ,माता पिता में विश्वास, और अक्सर तो किसी लायक ना होने, या असफलता का भी गहरा विश्वास इन्सान के अन्दर होता है. जिसको ये लगता है उसके साथ कुछ अच्छा नहीं हो सकता, जिसको ये लगे की वो किसी खास काम को नहीं कर सकता, जिसको ये लगता है की सफलता के लिए किसी special abelity की ज़रुरत होती है जो उसके पास तो नहीं है, जिसको ये लगता है की जीवन में उसको रिश्तों से धोखा ही मिलेगा या सब उसको छोड़ जाएँगे, ये सब किसी अटूट विश्वास के ही कारण है. हाँ ये अलग बात है की इस विश्वास के पीछे की जो अवधारणा है वो सबकी अलग अलग होती है . अगर ये ही विश्वास बिलकुल उलटे करे जा सके तो हमारी ज़िन्दगी में शायद चमत्कार की संभावना बढ़ जाए . मेरे चमत्कार , मैजिक का मतलब किसी जिन्नी वाले चमत्कार से नहीं है . इसका मतलब जीवन नाम के चमत्कार से है. जीवन अपने आप में एक चमत्कार है . बस नज़रिए का फर्क है. खैर , इस चमत्कार की बात फिर कभी. अभी तो इस पोस्ट को भी बाद में ही पूरा करना होगा .
शुभ रात्रि !!!!


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