Monday 29 May 2017

PAULO COELHO INTERVIEW WITH OPRAH IN HINDI



Paulo Coelho, the bestseller author's gave an interview to Oprah Winfrey. Here are a few excerpts from the interview ....

पाउलो कोएल्हो , अलकेमिस्ट जैसी बेस्टसेलर किताब के लेखक के Oprah Winfrey को दिए साक्षात्कार के कुछ अंश। ......
जीवन का सबसे महत्वपूर्ण सवाल ये है कि  हम ये जान पाए की हमे जीवन से क्या चाहिए 

मुझे ये समझने में सालों लग गए की मुझे जीवन से क्या चाहिए।  मसलन मैं जानता था की मैं एक लेखक बन ना चाहता हूँ और मैं दुनिआ का सबसे ख्याति प्राप्त , सबसे प्रसिद्द लेखक बनना चाहता था।
पर केवल ये ही काफी नहीं है कि हमे पता चल जाए कि हमे क्या चाहिए , हमे जो चाहिए उस काम को करना भी शुरू करना होता है, हमे वो बनना भी पड़ता है।  तो लेखक का मतलब होता है जो कोई किताब लिखता है , उसी प्रकार जैसे एक बागवानी  करने  का मतलब होता है बगीचा।

पर अगर आप अपने माता पिता से बात करेंगे और अगर आप मेरी तरह एक मध्यम वर्ग से आते हैं और आप उनको बताते हैं कि आप बागवानी करना  चाहते हैं तो वो कहेंगे ---- तुम यूनिवर्सिटी जाओ , डिप्लोमा और डिग्री  लो और फिर तुम बागवानी अपने खाली  समय में, वीकेंड्स में कर सकते हो।  

पर तुम्हे तो पौधों से प्यार है , मिटटी से प्यार है और उन सबके साथ रहके तुम्हे दिन के अंत में जीने की वजह मिलती है।  पर ये उनके लिए नहीं है जो समझा रहे हैं और जो समझ रहे हैं और इस तरह वो अपने चारो तरफ एक निराशा और कुंठा का जाल बना  लेते हैं।  

मरने के बाद भगवान् का सबसे महत्वपूर्ण सवाल क्या होगा 

सवाल - आप उस इंसान  से क्या कहेंगे जो अपने जीवन के उद्देश्य को ढून्ढ रहा है ?

पाउलो - मै उनसे कहूंगा कि मै एक चीज़ की बहुत इज़्ज़त करता हूँ , और वो एक  चीज़ है - "रहस्य".
मै आपको दस हज़ार ऐसी वजह गिना सकता हूँ जो ये बता सके कि आप इस धरती पर क्यों हैं पर उनमे से एक भी सत्य नहीं होगा। हमारे यहाँ पर आने की असली वजह एक रहस्य ही है और हमारे मरने तक रहस्य ही रहता है।  हो सकता है उस दिन जब हम मरने के बाद ईश्वर से मिलेंगे तो मेरी राय में वो हमसे एक ही सवाल पूछेगा। परमेश्वर मुझसे ये नहीं पूछेगा कि मैंने कितने बुरे कर्म किये , क्या मैंने ये किया , वो किया। .. ईश्वर हमसे बस एक ही  सवाल पूछेगा --- कि क्या हमसे पूरी तरह से सृष्टि से प्रेम किया या  नहीं।  अगर किया तो तुम्हारा स्वर्ग में स्वागत है और अगर नहीं तो त्रिशंकु।  

Oprah - ये सवाल बहुत ही सुंदर है और इसका सम्बन्ध केवल रूमानी , romantic प्रेम से नहीं है मेरे लिए इसका मतलब है कि  क्या हमने अपने हृदय को पूरी तरह से खोला जिस से कि  हम जीवन के हर क्षण का आलिंगन कर सके।  क्या हमने पूरी  तरह से सबसे और सबको प्यार किया या नहीं 

सुनो की ये सृष्टि तुमसे क्या कहना चाहती है 

Oprah - मुझे ये बहुत  सुन्दर लगा की अलकेमिस्ट में  पूर्वाभासी संकेतो (omens ) की बात बहुत सुन्दर तरह से की गयी है।  ये पूर्वाभासी संकेत वो होते हैं जो हर जगह, हर समय होते हैं और हमारा मार्गदर्शन करते हैं ,  और कहानी का नायक अपनी यात्रा में , journey में , इन चिन्हो ( signs) को पढ़ना और उनके पीछे चलना सीख जाता है।  

पाउलो - आप  कैसे ये सीख सकते हैं ,  क्योंकि इस कला को कोई सिखा नहीं सकता।  इसलिए इस सांकेतिक भाषा को सीखने का केवल एक ही तरीका है , और वो तरीका है ---- गलतियां करके ,  और दूसरा ध्यान देने से।  

सृष्टि हमे सिखाने को है यहाँ , हमे जीवन में सही दिशा में ले जाने वाले चिन्ह ये हमे बताती चलती है, और अगर हम कभी गलत दिशा ले लेते हैं तो ये हमे सही करती है।  पर ये हम तभी सीख सकते हैं जब हम जीवन पर ध्यान देना शुरू कर देते हैं।  जब मैं बचपन में एक संतरे के पेड़ के नीचे खड़ा था तब मुझे ये अहसास हुआ की मैं जीवित हूँ और मैं प्रकृति के केंद्र में नहीं हूँ , मेरी अपनी सृष्टि के बाहर भी बहुत सारी चेतना है. 

अगर हम बड़ा सोचेंगे तो हमारी दुनिआ भी बड़ी हो जाएगी

अगर हम बड़ा सोचेंगे तो हमारी दुनिआ भी बड़ी हो जाएगी और अगर हमारी सोच छोटी होगी तो हमारी दुनिआ भी उतनी ही  सिकुड़ जाएगी

मैंने अपने जीवन में हर प्रकार की अजीब चीज़े की , सब कुछ किया , और फिर एक दिन मैं ये किताब लिख देता हूँ और ईमानदारी से कहूं तो ये मुझसे, मेरे सामर्थ्य से कहीं बेहतर है।  एक दिन आप कुछ ऐसा सृजन कर देते हैं ये ही तो पारस में बदल देते की असली कला है , और इस कला की संभावना हर किसी के अंदर है। .... 

सबसे महत्वपूर्ण आध्यात्मिक  गुण 

हिम्मत , साहस  सबसे ज़रूरी गुण है ,  और ये एक आध्यात्मिक गुण है जो की हमारे अंदर  होना चाहिए। हमे ईश्वर से आध्यात्मिक जुड़ाव की ज़रूरत नहीं है , हमे ये भी विश्वास रखने की ज़रूरत नहीं है कि  भगवान है पर हम में साहस होने की ज़रुरत है।  ये एक ऐसा  से दुनिआ की भाषा को समझा जा सकता है।
हम दुनिआ की भाषा में किस तरह से पारंगत हो सकते हैं - हिम्मत करके , दुःसाहस करके।  


एक  ऐसी कहानी जो अब तक नहीं बतायी 

2011 में मेरे एजेंट के एक मिलने वालो का देहांत हृदयाघात से हो गया।  तो उनको लगने लगा की  सब ही हृदय के रोग से मर जायेंगे।  उन्होंने सब पर टेस्ट्स करवाने का दबाव डाला।  

मैं हर दिन पैदल चलता था , स्वस्थ जीवन जीता था , खाता ज़्यादा नहीं था , प्रकृति के करीब रहता था पर फिर भी उनका दिल रखने के लिए मैंने वो टेस्ट  करवा लिए।  डॉक्टर ने कहा की मैं तीस दिन में मरने वाला हूँ। 

 मुझे किसी तरह का दिल में दर्द नहीं था , मुझे थकान नहीं होती थी।  फिर मैंने खुद से कहा की अगर मैं  कल ही मर भी जाऊ तो सबसे पहली बात तो ये है की मैंने अपना आधे से ज़्यादा  जीवन उस औरत के साथ व्यतीत किया जिस से मैं प्रेम  करता हूँ। मैंने जीवन में सब कुछ किया।  हर सीमा को तोड़ दिया , हर तरह का पागलपन किया।  और किसी चीज़ का भी पछतावा नहीं है क्यूकि मैं अपने सपनों  के लिए लड़ सका।  मैं एक लेखक बन ना चाहता था और वो मैं बना।  तो अगर मैं  कल मर भी जाऊँ तो कोई फर्क नहीं पड़ता।  और मैं किसी भी दिन मरुँ , उस ही अहसास के साथ मरना चाहता हूँ जो मुझे ३० नवम्बर 2011 को था। इस दुनिया में   कितने लोग हैं जो ऐसा कह सकते हैं। 

 

















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