Sunday 31 May 2020

प्रेम - एहसास या दिवास्वप्न ...Is love an illusion



प्रेम क्या है, एक एहसास या फिर मृगमरीचिका । जीवन जीने की जिजीविषा या फिर जीवन से थक कर सोने की अफीम।
जब प्रेम रिश्तो के धागों में पिरो कर बाँध दिया जाता है तो मर्यादित तो हो जाता है पर अक्सर कपड़ों पर छिडके इत्र की तरह धीरे धीरे वो अपनी खुशबू खो देता है।

पुराना प्रेम जैसे सुबह की ठंडी ठंडी ताज़गी में आती मंद मंद कदम्ब की खुशबू। और नया नया प्रेम जैसे चांदनी रात की बयार में खुमारी देती रातरानी  की महक।

प्रेम एक मरीचिका रहता है तब तक ही जीवित रहता है। शायद फंतासी से इसका गहरा नाता है ।

फ़र्ज़ करिये आप प्रेम में हैं और फिर किसी कारणवश आपका वो प्रेम का आधार आपके साथ न रह पाए और दूर हो जाए, तो उसकी कसक बनी रह जाती है। और फिर यही कसक कभी पूरा ना होने वाला ख्याल  बन कर और कभी पुरानी याद बनकर अपनी खुशबू से आपको महकाकर परेशानियों की धूप में एक फंतासी का स्वप्न देती है।

इस स्वप्न को आप अपने चारों ओर लपेट लेते हैं और खुद को इसके घेरे में सुरक्षित पाते हैं। पर वहीं सोचिये कि अगर आपको वो प्रेम मिल ही जाता तो क्या होता। प्रेम के दिवास्वप्न से उतरकर जब जीवन की सच्चाइयो से सामना होता तो वही प्रेम कही खो सा जाता।

प्रेम में नयापन बना रहना शायद इसीलिए ज़रूरी है। अब इसके लिए या तो इंसान नवरंग फिल्म के कवि की तरह अपने वर्तमान जीवन के किरदारों से अपने आस पास ख्यालो का ताना बाना बुनकर अपने स्वप्न के संसार में डूब रहे या फिर "एक बार फिर से अजनबी बन जाने " की कोशिश करे। 


चलो एक बार फिर से ...गीत फिल्म गुमराह (1968) से
chalo ek baar phir se song - from movie Gumrah (1968)


What is real love in hindi
motivation thoughts in hindi

No comments:

Post a Comment