Saturday 29 June 2019

यादों की गलियों से गुज़रते हुए ......

                                                                          

 यादों की गलियों से गुज़रते हुए ...... जीवन में ऐसे कई पड़ाव आते हैं जब हम ठिठक जाते हैं और पीछे मुड़कर कर देखते हैं,
तब अहसास होता है कि कितना आगे निकल आये हम।

कभी कभी यू ही यादो की कोई पोटली खुल जाती है और उसमें कुछ ऐसा निकल पड़ता है जो पुरानी यादे ताज़ा कर देता है।

कभी ये पुराने खिलौने होते हैं , कभी किताबे और कभी सहेजे हुए खत। कभी कभी दीवारों या पुरानी गलियों  पर भी बचपन या जवानी के कुछ रंग लग जाते हैं जो मन पर जमी धुल के साफ़ होने पर फिर से दिखाई देने लगते हैं।

हमे कोशिश ये करनी चाहिए की जब भी बालो की सफेदी , चेहरे की झुर्रियो और बूढ़े हुए मन से पार झांक कर पीछे देखे तो वक्त के रेत की तरह फिसल जाने जैसा अहसास ना हो ,
बल्कि एक भरपूर जी हुई ज़िन्दगी के अहसास साथ हो, किसी तरह का मलाल ना हो, किसी के छूट जाने की टीस ना हो पर साथ गुज़ारे पलो की यादे साथ हो।


बीते हुए लम्हों की कसक साथ तो होगी गीत - निकाह फिल्म से
beete hue lamho ki kasak sath to hogi song- from movie Nikaah

आप आज निराश हैं - शेर बूढा होने पर भी कभी घास नहीं खा सकता

         

शेर बूढा होने पर भी कभी घास नहीं खा सकता


जंगल का शेर अगर बूढ़ा भी हो जाए तो शिकार करना भूलकर घास नहीं खाने लगता। 

उसी प्रकार इंसान के जीवन में कुछ ऐसे पड़ाव आते हैं जब हिम्मत चुकने लगती है, या फिर आप अपना आत्मविश्वास खो देते हैं और जो काम हम पहले आखे बंद करके भी कर सकते थे, जिन चीज़ो में खुद पर पूरा विशवास था अब हर उस काम में डर लगने लगता है। 

तब हमे ये समझ लेना चाहिए कि ये थकान , ये डर क्षणिक हैं और ऐसे निराशा के क्षण हर एक के जीवन में आते हैं।  पर ये एक साइक्लिक फेज है (cyclic phase ) जो कि एक समय बाद गुज़रेगा ज़रूर। तो उसके अंदर इतना नहीं डूब जाना चाहिए कि हमारे अंदर पूरी तरह निराशा ही भर जाए।

हमारी अपनी एक unique skill set होती है जो सब कुछ ख़त्म हो जाने पर भी साथ रहती है और समय पड़ने पर फिर से जागृत हो सृजन कर सकती है।

रुक जाना नहीं तू कहीं हार के ... कांटो पे चलके मिलेंगे साए बहार के ... किशोर कुमार का गया  गीत फिल्म इम्तिहान से
Ruk Jana Nahin Sung by Kishore Kumar from the movie Imtihan

Nirasha depression in hindi