यादों की गलियों से गुज़रते हुए ...... जीवन में ऐसे कई पड़ाव आते हैं जब हम ठिठक जाते हैं और पीछे मुड़कर कर देखते हैं,
तब अहसास होता है कि कितना आगे निकल आये हम।
कभी कभी यू ही यादो की
कोई पोटली खुल जाती है और उसमें कुछ ऐसा निकल पड़ता है जो पुरानी यादे ताज़ा
कर देता है।
कभी ये पुराने खिलौने होते हैं , कभी किताबे और कभी सहेजे हुए
खत। कभी कभी दीवारों या पुरानी गलियों पर भी बचपन या जवानी के कुछ रंग लग
जाते हैं जो मन पर जमी धुल के साफ़ होने पर फिर से दिखाई देने लगते हैं।
हमे
कोशिश ये करनी चाहिए की जब भी बालो की सफेदी , चेहरे की झुर्रियो और बूढ़े
हुए मन से पार झांक कर पीछे देखे तो वक्त के रेत की तरह फिसल जाने जैसा
अहसास ना हो ,
बल्कि एक भरपूर जी हुई ज़िन्दगी के अहसास साथ हो, किसी तरह का
मलाल ना हो, किसी के छूट जाने की टीस ना हो पर साथ गुज़ारे पलो की यादे साथ
हो।
बीते हुए लम्हों की कसक साथ तो होगी गीत - निकाह फिल्म से
beete hue lamho ki kasak sath to hogi song- from movie Nikaah