Friday 10 July 2015

विभिन्न प्रकार की प्रतियोगी परीक्षाओ में निकलने वाले अभ्यार्थी ये क्यों कहते हैं कि हमने ये दिशा इसलिए चुनी की हमें "देश सेवा " करनी थी , "गरीबो " की "मदद " करनी थी। ऐसा लगता है जैसे देश पर कोई एहसान कर रहे हों , जबकि देश और समाज के लिए काम करना सबका कर्त्तव्य है। समाज आगे बढ़ेगा तो आप भी आगे बढ़ेंगे। सेवा तब होती है जब आपको उसके बदले में कुछ नहीं मिलता (जबकि यहाँ आप एक निश्चित तनख्वाह पाते हैं ). आप गरीबो की "मदद " नहीं करते हैं , क्युकी मदद voluntary होती है पर ये आपके काम के दायरे में आता है और आपको इसी काम के लिए करदाताओं के दिए हुए कर में से वेतन दिया जाता है।

Wednesday 8 July 2015

If life does not follow your chosen plan,,,, then Definitely Universe has another plan for you , much grander and better than your own plan.....