Friday 2 June 2017

MARK ZUCKERBERG SPEECH AT HARWARD IN HINDI- PART 1



Mark Zuckerberg, facebook के सहसंस्थापक और सीईओ हैं . आइये जानते हैं कि उन्होंने हार्वर्ड में हाल ही में दिए अपने व्याख्यान में क्या कहा :




 
"President Faust , Board of Overseers, Faculty , alumni, friends , proud parents , members of the ad board, and graduates of the greatest university in the world,

आज मुझे इस बात का गर्व है की मै आपके साथ हूँ , क्यूकि , आप वो कर पाए जो मै कभी भी नहीं कर पाया. अगर मै इस व्याख्यान को ख़त्म कर पाया, तो ये पहली बार होगा की मै हार्वर्ड में कुछ सचमुच में ख़त्म कर पाउँगा. ( Zuckerberg हार्वर्ड में अपनी पढाई बीच में ही  छोड़ कर चले गए थे  ) . 2017 की क्लास को मेरी हार्दिक बधाई !

मै एक बहुत अच्छा  वक्ता नहीं हूँ , सिर्फ इसलिए नहीं कि  मै कॉलेज से ड्राप आउट हूँ , पर इसलिए भी कि तकनीकी रूप से हम एक ही पीड़ी के हैं . एक दशक से भी कम अंतराल से हम सब इन्ही गलियारों से गुज़रे हैं , समान विचारो को पढ़ा है , और उन्ही  E 10 lectures में समान रूप से सोये हैं . हमने यहाँ तक पहुचने के लिए अलग अलग रस्ते ज़रूर अपनाए हैं , खासकर के  अगर आप quad शहरों से आते हैं, पर आज मै आपके साथ ये साझा करना चाहता हूँ कि मैंने हमारी पीड़ी, हमारी generation के बारे में क्या सीखा और उस दुनिया के बारे में जिसे हम मिलके बना रहे हैं .

सबसे पहली बात , पिछले कुछ दिनों ने काफी सारी पुरानी  खुशनुमा यादो को ताज़ा कर दिया है .
आप में से कितनो को याद है की आप तब क्या कर रहे थे जब आपको ये बताने के लिए ईमेल आया था कि आपका चयन Harvard में हो गया है . मै उस समय "Civilization " गेम खेल रहा था और मै भाग के नीचे गया अपने पिता को लाया और प्रतिक्रिया में उन्होंने मेरा मेल खोलते हुए video shoot करना चाहा . वो एक बहुत ही ऊबाऊ video रहा होगा . मै दावे से कह सकता हूँ कि आज भी मेरे माता पिता को मेरे Harvard में admission पर सबसे ज्यादा गर्व है .

आपका Harvard में सबसे पहला lecture कौनसा था ? मेरा था Computer Science 121 का , अदभुत Harry Lewis के साथ . मुझे आने में देर हो गई थी तो मैंने एक tshirt जल्दी में पहन ली और ये नहीं देखा कि वो उल्टी ही पहन ली है और उसका टैग भी आगे की तरफ है . मुझे समझ नहीं आ रहा था कि कोई मुझसे बात क्यों नहीं कर रहा है --- सिवाय एक इंसान के , KX Jin , उन्होंने उसपर ध्यान नहीं दिया. हम बाद में एक साथ problem sets करने लगे और आज वो Facebook का एक बड़ा हिस्सा देख रहे हैं . और इसीलिए आपको लोगो के साथ विनम्र और अच्छा बर्ताव करना चाहिए .

पर मेरी Harvard की सबसे अच्छी याद है अपनी पत्नी Priscilla से मिलना . मैंने तब एक prank वेबसाइट लॉच की थी और बोर्ड मुझसे मिलना चाहता था . सबको लग रहा था की मुझे निकाल दिया जाएगा . मेरे माता पिता सामान बंधवाने आ गए थे . दोस्तों ने मेरे जाने की की going away पार्टी रखी थी , और जैसा कि किस्मत को मंज़ूर था, Priscilla उस पार्टी में अपनी दोस्त के साथ थीं . हम बाथरूम की लाइन में मिले और अब तक की सबसे रोमांटिक लाइनों में से एक मैंने बोली , मैंने कहा : "मुझे तीन दिन में बहार निकाल फैका जाएगा , तो इसलिए हमे जल्दी ही date पर जाना चाहिए " .

दरअसल आप में से कोई भी graduates उस लाइन को use कर सकते हैं .

मुझे बाहर नहीं निकाला गया - वो मैंने खुद किया . Priscilla और मैंने date पे जाना शुरू कर दिया. और , आपको पता है , उस movie ( " The Social Network " - Mark Zuckerberg पर बनी एक बायोपिक फिल्म ) में दिखाया गया है की मेरा facemash को बनाना Facebook को बनाने के लिए कितना ज़रूरी था, पर ऐसा नहीं था . पर बिना Facemash के मै Priscilla से नहीं मिला होता , और वो मेरे जीवन की सबसे अहम् इंसान हैं , तो आप कह सकते हैं की वो सबसे ज़रूरी चीज़ थी जीवन की जो मैंने बनायी .

हम सभी ने यहाँ लम्बे समय तक चलने वाली दोस्ती , friendships बनायीं हैं और कुछ ने परिवार भी . इसीलिए मै इस जगह का इतना शुक्रगुजार हूँ . धन्यवाद Harvard .

आज मै जीवन के उद्देश्य , उसके purpose के बारे में बात करना चाहता हूँ . पर मै यहाँ आपको वोही standard प्रचलित बात कहने के लिए नहीं हूँ जो आपको कहता है कि आप अपने उद्देश्य को ढूंढे और उसपर काम करें . पर मै आपको ये कहने के लिए यहाँ हूँ की सिर्फ अपने जीवन का उद्देश्य , उसका purpose ढून्ढ लेना ही काफी नहीं है . हमारी पीढ़ी , हमारी generation के सामने ये एक चुनौती है कि हम एक ऐसी दुनिया का निर्माण कर सके जहाँ सबके पास जीने का उद्देश्य हो .

मेरी सबसे पसंदीदा कहानियों में से एक है जब John F Kennedy NASA स्पेस सेंटर पहुचे , और एक सफाई कर्मचारी से पूछा  कि वह क्या कर रहा है . उसने जवाब दिया : " श्रीमान राष्ट्रपति , मै एक इन्सान को चाँद पर भेजने में मदद कर रहा हूँ .

Purpose , उद्देश्य , वो अहसास है जब हमे ये महसूस होता है कि हम खुद से बड़ी  किसी बड़ी चीज़ का हिस्सा हैं , कि हमारी ज़रुरत है , कि हमारे पास कुछ बेहतर करने के लिए सम्भावनाये हैं . Purpose, उद्देश्य वो है जो सच्ची ख़ुशी देता है .

आप एक ऐसे समय में ग्रेजुएट ( स्नातक ) हो रहे हैं जब ये सचमुच में बहुत ज़रूरी है. जब हमारे माता पिता ग्रेजुएट (स्नातक ) हुए थे , तब ये (sense of )purpose निश्चित ही रूप से आपकी नौकरी , आपकी job , आपके church , आपके समाज से आता था .

पर आज टेक्नोलॉजी और automation ( स्वचलित)  कई नौकरियों को ख़त्म कर रही हैं . communities में सदस्यता खत्म हो रही है . बहुत सरे लोग अलगाव , कटे हुए , हताश और निराश हैं , डिप्रेशन में हैं , और एक शून्य को, एक void को भरने की कोशिश कर रहे हैं .

जब मैं घूमा हूँ , तो मै  juvenile homes (बाल सुधार गृह) और ड्रग addicts   बच्चो के साथ बैठा हूँ, जिन्होंने मुझे बताया कि उनका जीवन दूसरी दिशा में होता अगर केवल अगर उनके पास  करने के लिए कुछ होता, कोई स्कूल के बाद का after school program , या कही जाने के लिए जगह . में फैक्ट्रीयों में काम करने वाले उन मजदूरों से मिला जिनको पता था उनकी पुरानी  नौकरिया वापस नहीं आने वाली और जो अपनी जगह ढूँढने की कोशिश कर रहे हैं .

हमारा समाज आगे बढ़ता रहे इसके लिए हमारे सामने एक चुनौती है --न केवल नयी नौकरिया पैदा करना , पर एक नए sense of purpose , एक नए उद्देश्य का भी निर्माण करना .

मुझे याद  है वो रात  जब मैंने Kirkland House की अपनी छोटी सी dormitory से facebook लांच की थी . मै अपने दोस्त KX के साथ Noch's गया था . मुझे याद है मेरा  बताना कि मै harvard के लोगो को connect (जोड़ने ) करने के लिए कितना उत्साहित हूँ , और एक दिन कोई पूरी दुनिया को connect कर देगा  .
  
और सच तो ये है की ये बात मेरे ज़हन में भी नहीं थी कि वो कोई हम ही होंगे . हम तब सिर्फ कॉलेज के बच्चे थे . हमे उसके बारे में कुछ भी पता नहीं था . तब वहां ये बड़ी बड़ी technology कंपनिया थी जिनके पास बहुत संसाधन थे . मैंने  बस संभावना जताई कि इनमे से कोई ऐसा कर देगा . पर ये विचार हमारे मन में साफ़ था- कि सभी लोग जुड़ना , connect होना चाहते हैं . तो हम बस दिन पर दिन आगे बढ़ते रहे .

मै जनता हूँ आपमें से कई की ( एक दिन) ऐसी हमारे जैसी कहानिया होंगी . दुनिया में एक ऐसा बदलाव जो इतना साफ़ दीखता है कि आपको यकीन होता है कि एक दिन कोई न कोई उसे ज़रूर पूरा करेगा . पर वो नहीं करेंगे . आप करेंगे .

पर सिर्फ अपना purpose होना ही काफी नहीं है . आपको दूसरो  के लिए भी sense of purpose का निर्माण करना होगा .

मुझे ये मुश्किल रास्तो से गुज़रकर पता चला . मुझे एक कंपनी बनाने की कभी उम्मीद नहीं थी , पर एक प्रभाव लाने की, बदलाव लाने की  थी . और जैसे जैसे इन सब लोगो ने हमसे जुड़ना शुरू किया , मैंने बस ये मान लिया कि उसी की ही परवाह वो भी करते हैं , तो मैंने कभी ये समझाने की कोशिश नहीं की कि मेरी क्या निर्माण करने की उम्मीद है .

कुछ सालो के बाद, कुछ बड़ी कंपनिया हमे खरीदना चाहती थी . पर मै बेचना नहीं चाहता था . मै ये देखना चाहता था की अगर हम कुछ और लोगो को जोड़ सके तो. हम सबसे पहली news feed बना रहे थे, और मुझे लगा कि अगर हम बस इसको launch कर पाए , तो हम दुनिया के बारे में कैसे जानते हैं ये उसको बदल देगा .

लगभग बाकि सभी लोग इसको बेचना चाहते थे. बिना किसी उच्च उद्देश्य के , purpose के , ये एक startup के सपने के साकार होने की कहानी थी . पर इसने हमारी कंपनी को तोड़ डाला . एक तल्ख़ बहस के बाद , एक advisor ने कहा कि अगर मैंने बेचने का निर्णय नहीं लिया , तो मै ज़िन्दगी भर अपने इस निर्णय पे पछताऊंगा . रिश्ते इतने खिच चुके थे की एक साल के अन्दर management team में से लगभग हर कोई चला गया था .

वो मेरा सबसे मुश्किल दौर था facebook को lead करने का . मुझे हम जो कर रहे थे उसपे विश्वास था , पर मै अकेला महसूस करता था . और इससे भी बुरी बात , ये सब मेरी गलती थी . मै  सोचता था कि कही मै गलत तो नहीं हूँ , एक 22 साल का बच्चा जिसको कोई समझ नहीं है कि  दुनिया कैसे चलती है .

अब, कई सालो बाद , मुझे समझ आया है कि दुनिया ऐसे चलती है जब हमारे पास कोई बड़ा "sense of purpose" नहीं होता है . ये हम पर निर्भर होता है कि हम उसका निर्माण करे जिससे कि हम सब साथ आगे बढ़ते रहे.

to be continued .......











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