Thursday 22 June 2017

फ़ीनिक्स (PHOENIX) की चिड़िया ...... I



हम सभी आम लोग हैं . ज़ाहिर है, हमारी कहानी भी आम ही है . पर इस आम सी कहानी में अक्सर कुछ खास हिम्मत छुपी हुई होती है . और यही आम से दिखने वाले चेहरे कुछ खास काम कर जाते हैं . हम सब phoenix चिड़िया हैं शायद . आप फ़ीनिक्स चिड़िया के बारे में जानते ही होंगे ना .

Phoenix by guillaume-phoenix






वो चिड़िया जो अपने ही पंखों की आग में जल जाती है और फिर उस राख में से उठकर ज़िन्दा हो जाती है . हम सब भी तो ऐसे ही हैं न . ज़िंदगी हमे गिराती है , दबाती  है, तोड़ती है , और हम फिर से उन टुकड़ो को समेट  कर खुद को जोड़ते हैं और उठ के खड़े होते हैं . प्रकृति ने भी इन्सान को क्या ग़जब की reselience power  दी है ना . इन्सान की झेल सकने की श्रमता ….. हर condition में भी adapt हो जाने की, ढल जाने की खूबी . प्रकृति में हर कोई ऐसा नहीं कर सकता. हर प्रकार के माहौल में इन्सान survive  कर सकता है.
इस से एक कहानी याद आती है.  आशा-एक अमरबेल. एक आदमी के दो बच्चे होते हैं पर उनकी माँ सौतेली होती है . तो एक बार उनके गाँव में अकाल पड़ता है . आदमी के लिए सबका पेट पालना मुश्किल हो जाता है . तब उसकी पत्नी उसको मनाती है कि इन बच्चों को हम यही घर में बंद करके दूसरे शहर में चलते हैं . जब सब सही हो जाएगा वापस आ जाएँगे. उसको लगा की बच्चे भूख से तड़प कर मर जाएँगे इस से उसका उनसे पीछा भी छूट जाएगा . पिता किसी तरह मान जाता है . वो बच्चों के लिए कुछ सत्तू और पानी रख कर चले जाते हैं.
 
Image Artist: Poonam K Rangan

 दोनों भाई बहिन इंतज़ार करते रहते हैं . इस तरह कई दिन निकल जाते हैं. एक साल बाद दोनों पति पत्नी जब आते हैं और कमरा खोलते हैं दोनों बच्चे जिंदा बाहर निकल आते हैं. इस आशा के सहारे की उनके माता पिता जल्दी ही आ जाएँगे वो दोनों एक साल निकाल देते हैं.
हालांकि  आप ये कह सकते हैं की ये तो बस एक कहानी ही हैं. हाँ है. पर ये कहानियाँ भी तो हमारे आस पास से ही निकल कर आती हैं. ऐसा तो नहीं है की इनमे कोई सच्चाई ही नहीं है. रोज़ कुछ न कुछ अजीबोगरीब घटनायें होती ही  रहती हैं . कुछ साल पहले दो बहनों की खबर आई थी जो बिना कुछ खाए पिए महीनों एक घर में पड़ी रही थी. शरीर बेजान हो गया था उनका.
इस सारी बात का सार उस आशा , उस विश्वास से है जिसकी डोर के सहारे इन्सान का जीवन चलता है . ईश्वर में विश्वास, खुद में विश्वास ,माता पिता में विश्वास, और अक्सर तो किसी लायक ना होने, या असफलता का भी गहरा विश्वास इन्सान के अन्दर होता है. जिसको ये लगता है उसके साथ कुछ अच्छा नहीं हो सकता, जिसको ये लगे की वो किसी खास काम को नहीं कर सकता, जिसको ये लगता है की सफलता के लिए किसी special abelity की ज़रुरत होती है जो उसके पास तो नहीं है, जिसको ये लगता है की जीवन में उसको रिश्तों से धोखा ही मिलेगा या सब उसको छोड़ जाएँगे, ये सब किसी अटूट विश्वास के ही कारण है. हाँ ये अलग बात है की इस विश्वास के पीछे की जो अवधारणा है वो सबकी अलग अलग होती है . अगर ये ही विश्वास बिलकुल उलटे करे जा सके तो हमारी ज़िन्दगी में शायद चमत्कार की संभावना बढ़ जाए . मेरे चमत्कार , मैजिक का मतलब किसी जिन्नी वाले चमत्कार से नहीं है . इसका मतलब जीवन नाम के चमत्कार से है. जीवन अपने आप में एक चमत्कार है . बस नज़रिए का फर्क है. खैर , इस चमत्कार की बात फिर कभी. अभी तो इस पोस्ट को भी बाद में ही पूरा करना होगा .
शुभ रात्रि !!!!


Wednesday 7 June 2017

LEGEND AND TRUTH





Every legend has some traces of truth in it. But separating the grain from the chaff will destroy the beauty of the mystery and the joy that lies in them. Truth is dry inner seed and mystery is as sweet as the fruit and the legend the beautiful one. Any social or scientific proof of reality will destroy the spark of life in the hopeful. Hence societies tend to deny any intellectual enquiries and place a reward on faith. May be this is the reason that the pattern of concealing the truth has been almost the same in all ancient human societies. And beautiful and magnificent stories were constructed around them. These stories with time became the wealth of civilizations and were nurtured as they passed on from generation to generation via folklores, pauranic traditions, panchatantra stories, old wisdom and ancient traditions, songs, dances, music and literature.

Tuesday 6 June 2017

महात्मा के ऊँठ और जीवन की समस्याएँ








सुदूर देश में धोरो की धरती के किसी शहर में एक व्यापारी  रहता था और उसके कई तरह के व्यापर थे। रूपये पैसे की कोई कमी नहीं थी  पर वो अपनी ज़िन्दगी से खुश नहीं था , हर समय वो किसी न किसी समस्या से परेशान रहता था और उसी के बारे में सोचता रहता था .

एक बार शहर से कुछ दूरी पर एक एक महात्मा का काफिला रुका हुआ था . शहर में चारों और उन्ही की चर्चा थी, बहुत से लोग अपनी समस्याएं लेकर उनके पास पहुँचने लगे , उस आदमी को भी इस बारे में पता चला, और उसने भी महात्मा के दर्शन करने का निश्चय किया . और एक  दिन सुबह -सुबह ही उनके काफिले तक पहुंचा .

वहां सैकड़ों लोगों की भीड़ जुटी हुई थी , बहुत इंतज़ार के बाद उसका मिलने का मौका  आया . वह बाबा से बोला , "बाबा , मैं अपने जीवन से बहुत दुखी हूँ , हर समय समस्याएं मुझे घेरे  रहती हैं , कभी व्यापार की परेशानी  रहती है , तो कभी घर पर अनबन हो जाती है , और कभी अपनी  सेहत को लेकर परेशान रहता हूँ …. बाबा कोई ऐसा उपाय बताइये कि मेरे जीवन से सभी समस्याएं ख़त्म हो जाएं और मैं चैन से जी सकूँ ?"

😇 बाबा मुस्कुराये और बोले , “ पुत्र  , आज बहुत देर हो गयी है मैं तुम्हारे प्रश्न का उत्तर कल सुबह दूंगा … लेकिन क्या तुम मेरा एक छोटा सा काम करोगे …?”   “ज़रूर करूँगा ..”, वो आदमी उत्साह के साथ बोला . 

“देखो बेटा , हमारे काफिले में सौ ऊंट 🐪 हैं , और इनकी देखभाल करने वाला आज बीमार पड़ गया है , मैं चाहता हूँ कि आज रात तुम इनका खयाल रखो … और जब सौ के सौ ऊंट 🐪 बैठ जाएं तो तुम भी सो जाना …”, ऐसा कहते हुए महात्मा अपने तम्बू में चले गए .. 😴 

अगली सुबह महात्मा उस आदमी से मिले और पुछा , “ कहो बेटा , नींद अच्छी आई ?”

“कहाँ बाबा , मैं तो एक पल भी नहीं सो पाया , मैंने बहुत कोशिश की पर मैं सभी ऊंटों🐪 को नहीं बैठा पाया , कोई न कोई ऊंट 🐪 खड़ा हो ही जाता …!!!”, वो दुखी होते हुए बोला .”

 “ मैं जानता था यही होगा … आज तक कभी ऐसा नहीं हुआ है कि ये सारे ऊंट एक साथ बैठ जाएं …!!!”,    बाबा बोले . आदमी नाराज़गी के स्वर में बोला, “ तो फिर आपने मुझे ऐसा करने को क्यों कहा ? ” 

बाबा बोले , “ बेटा , कल रात तुमने क्या अनुभव किया ??
यही ना कि चाहे कितनी भी कोशिश कर लो सारे ऊंट 🐪एक साथ नहीं बैठ सकते … तुम एक को बैठाओगे तो कहीं और कोई दूसरा खड़ा हो जाएगा"
😯 "इसी तरह तुम एक समस्या का समाधान करोगे तो किसी कारणवश दूसरी खड़ी हो जाएगी .. पुत्र, जब तक जीवन है ये समस्याएं तो बनी ही रहती हैं … कभी कम तो कभी ज्यादा ….” 

“तो हमें क्या करना चाहिए ?” , आदमी ने जिज्ञासावश पूछा  . 

“इन समस्याओं के बावजूद जीवन का आनंद लेना सीखो … कल रात क्या हुआ? , कई ऊंट 🐪 रात होते -होते खुद ही बैठ गए , कई तुमने अपने प्रयास से बैठा दिए , पर बहुत से ऊंट 🐪 तुम्हारे प्रयास के बाद भी नहीं बैठे … और जब बाद में तुमने देखा तो पाया कि तुम्हारे जाने के बाद उनमे से कुछ खुद ही बैठ गए …. कुछ समझे ….??"
 "समस्याएं भी ऐसी ही होती हैं , कुछ तो अपने आप ही ख़त्म हो जाती हैं , कुछ को तुम अपने प्रयास से हल कर लेते हो … और कुछ तुम्हारे बहुत कोशिश करने पर भी हल नहीं होतीं , ऐसी समस्याओं को समय पर छोड़ दो".

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😶 "उचित समय पर वे खुद ही ख़त्म हो जाती हैं …. और जैसा कि मैंने पहले कहा … जीवन है तो कुछ समस्याएं रहेंगी ही रहेंगी …. पर इसका ये मतलब नहीं की तुम दिन रात उन्ही के बारे में सोचते रहो … ऐसा होता तो ऊंटों 🐪की देखभाल करने वाला कभी सो नहीं पाता…. समस्याओं को एक तरफ रखो और जीवन का आनंद लो… चैन की नींद सो … 😴 जब उनका समय आएगा वो खुद ही हल हो जाएँगी"...

Friday 2 June 2017

MARK ZUCKERBERG SPEECH AT HARWARD IN HINDI- PART 1



Mark Zuckerberg, facebook के सहसंस्थापक और सीईओ हैं . आइये जानते हैं कि उन्होंने हार्वर्ड में हाल ही में दिए अपने व्याख्यान में क्या कहा :




 
"President Faust , Board of Overseers, Faculty , alumni, friends , proud parents , members of the ad board, and graduates of the greatest university in the world,

आज मुझे इस बात का गर्व है की मै आपके साथ हूँ , क्यूकि , आप वो कर पाए जो मै कभी भी नहीं कर पाया. अगर मै इस व्याख्यान को ख़त्म कर पाया, तो ये पहली बार होगा की मै हार्वर्ड में कुछ सचमुच में ख़त्म कर पाउँगा. ( Zuckerberg हार्वर्ड में अपनी पढाई बीच में ही  छोड़ कर चले गए थे  ) . 2017 की क्लास को मेरी हार्दिक बधाई !

मै एक बहुत अच्छा  वक्ता नहीं हूँ , सिर्फ इसलिए नहीं कि  मै कॉलेज से ड्राप आउट हूँ , पर इसलिए भी कि तकनीकी रूप से हम एक ही पीड़ी के हैं . एक दशक से भी कम अंतराल से हम सब इन्ही गलियारों से गुज़रे हैं , समान विचारो को पढ़ा है , और उन्ही  E 10 lectures में समान रूप से सोये हैं . हमने यहाँ तक पहुचने के लिए अलग अलग रस्ते ज़रूर अपनाए हैं , खासकर के  अगर आप quad शहरों से आते हैं, पर आज मै आपके साथ ये साझा करना चाहता हूँ कि मैंने हमारी पीड़ी, हमारी generation के बारे में क्या सीखा और उस दुनिया के बारे में जिसे हम मिलके बना रहे हैं .

सबसे पहली बात , पिछले कुछ दिनों ने काफी सारी पुरानी  खुशनुमा यादो को ताज़ा कर दिया है .
आप में से कितनो को याद है की आप तब क्या कर रहे थे जब आपको ये बताने के लिए ईमेल आया था कि आपका चयन Harvard में हो गया है . मै उस समय "Civilization " गेम खेल रहा था और मै भाग के नीचे गया अपने पिता को लाया और प्रतिक्रिया में उन्होंने मेरा मेल खोलते हुए video shoot करना चाहा . वो एक बहुत ही ऊबाऊ video रहा होगा . मै दावे से कह सकता हूँ कि आज भी मेरे माता पिता को मेरे Harvard में admission पर सबसे ज्यादा गर्व है .

आपका Harvard में सबसे पहला lecture कौनसा था ? मेरा था Computer Science 121 का , अदभुत Harry Lewis के साथ . मुझे आने में देर हो गई थी तो मैंने एक tshirt जल्दी में पहन ली और ये नहीं देखा कि वो उल्टी ही पहन ली है और उसका टैग भी आगे की तरफ है . मुझे समझ नहीं आ रहा था कि कोई मुझसे बात क्यों नहीं कर रहा है --- सिवाय एक इंसान के , KX Jin , उन्होंने उसपर ध्यान नहीं दिया. हम बाद में एक साथ problem sets करने लगे और आज वो Facebook का एक बड़ा हिस्सा देख रहे हैं . और इसीलिए आपको लोगो के साथ विनम्र और अच्छा बर्ताव करना चाहिए .

पर मेरी Harvard की सबसे अच्छी याद है अपनी पत्नी Priscilla से मिलना . मैंने तब एक prank वेबसाइट लॉच की थी और बोर्ड मुझसे मिलना चाहता था . सबको लग रहा था की मुझे निकाल दिया जाएगा . मेरे माता पिता सामान बंधवाने आ गए थे . दोस्तों ने मेरे जाने की की going away पार्टी रखी थी , और जैसा कि किस्मत को मंज़ूर था, Priscilla उस पार्टी में अपनी दोस्त के साथ थीं . हम बाथरूम की लाइन में मिले और अब तक की सबसे रोमांटिक लाइनों में से एक मैंने बोली , मैंने कहा : "मुझे तीन दिन में बहार निकाल फैका जाएगा , तो इसलिए हमे जल्दी ही date पर जाना चाहिए " .

दरअसल आप में से कोई भी graduates उस लाइन को use कर सकते हैं .

मुझे बाहर नहीं निकाला गया - वो मैंने खुद किया . Priscilla और मैंने date पे जाना शुरू कर दिया. और , आपको पता है , उस movie ( " The Social Network " - Mark Zuckerberg पर बनी एक बायोपिक फिल्म ) में दिखाया गया है की मेरा facemash को बनाना Facebook को बनाने के लिए कितना ज़रूरी था, पर ऐसा नहीं था . पर बिना Facemash के मै Priscilla से नहीं मिला होता , और वो मेरे जीवन की सबसे अहम् इंसान हैं , तो आप कह सकते हैं की वो सबसे ज़रूरी चीज़ थी जीवन की जो मैंने बनायी .

हम सभी ने यहाँ लम्बे समय तक चलने वाली दोस्ती , friendships बनायीं हैं और कुछ ने परिवार भी . इसीलिए मै इस जगह का इतना शुक्रगुजार हूँ . धन्यवाद Harvard .

आज मै जीवन के उद्देश्य , उसके purpose के बारे में बात करना चाहता हूँ . पर मै यहाँ आपको वोही standard प्रचलित बात कहने के लिए नहीं हूँ जो आपको कहता है कि आप अपने उद्देश्य को ढूंढे और उसपर काम करें . पर मै आपको ये कहने के लिए यहाँ हूँ की सिर्फ अपने जीवन का उद्देश्य , उसका purpose ढून्ढ लेना ही काफी नहीं है . हमारी पीढ़ी , हमारी generation के सामने ये एक चुनौती है कि हम एक ऐसी दुनिया का निर्माण कर सके जहाँ सबके पास जीने का उद्देश्य हो .

मेरी सबसे पसंदीदा कहानियों में से एक है जब John F Kennedy NASA स्पेस सेंटर पहुचे , और एक सफाई कर्मचारी से पूछा  कि वह क्या कर रहा है . उसने जवाब दिया : " श्रीमान राष्ट्रपति , मै एक इन्सान को चाँद पर भेजने में मदद कर रहा हूँ .

Purpose , उद्देश्य , वो अहसास है जब हमे ये महसूस होता है कि हम खुद से बड़ी  किसी बड़ी चीज़ का हिस्सा हैं , कि हमारी ज़रुरत है , कि हमारे पास कुछ बेहतर करने के लिए सम्भावनाये हैं . Purpose, उद्देश्य वो है जो सच्ची ख़ुशी देता है .

आप एक ऐसे समय में ग्रेजुएट ( स्नातक ) हो रहे हैं जब ये सचमुच में बहुत ज़रूरी है. जब हमारे माता पिता ग्रेजुएट (स्नातक ) हुए थे , तब ये (sense of )purpose निश्चित ही रूप से आपकी नौकरी , आपकी job , आपके church , आपके समाज से आता था .

पर आज टेक्नोलॉजी और automation ( स्वचलित)  कई नौकरियों को ख़त्म कर रही हैं . communities में सदस्यता खत्म हो रही है . बहुत सरे लोग अलगाव , कटे हुए , हताश और निराश हैं , डिप्रेशन में हैं , और एक शून्य को, एक void को भरने की कोशिश कर रहे हैं .

जब मैं घूमा हूँ , तो मै  juvenile homes (बाल सुधार गृह) और ड्रग addicts   बच्चो के साथ बैठा हूँ, जिन्होंने मुझे बताया कि उनका जीवन दूसरी दिशा में होता अगर केवल अगर उनके पास  करने के लिए कुछ होता, कोई स्कूल के बाद का after school program , या कही जाने के लिए जगह . में फैक्ट्रीयों में काम करने वाले उन मजदूरों से मिला जिनको पता था उनकी पुरानी  नौकरिया वापस नहीं आने वाली और जो अपनी जगह ढूँढने की कोशिश कर रहे हैं .

हमारा समाज आगे बढ़ता रहे इसके लिए हमारे सामने एक चुनौती है --न केवल नयी नौकरिया पैदा करना , पर एक नए sense of purpose , एक नए उद्देश्य का भी निर्माण करना .

मुझे याद  है वो रात  जब मैंने Kirkland House की अपनी छोटी सी dormitory से facebook लांच की थी . मै अपने दोस्त KX के साथ Noch's गया था . मुझे याद है मेरा  बताना कि मै harvard के लोगो को connect (जोड़ने ) करने के लिए कितना उत्साहित हूँ , और एक दिन कोई पूरी दुनिया को connect कर देगा  .
  
और सच तो ये है की ये बात मेरे ज़हन में भी नहीं थी कि वो कोई हम ही होंगे . हम तब सिर्फ कॉलेज के बच्चे थे . हमे उसके बारे में कुछ भी पता नहीं था . तब वहां ये बड़ी बड़ी technology कंपनिया थी जिनके पास बहुत संसाधन थे . मैंने  बस संभावना जताई कि इनमे से कोई ऐसा कर देगा . पर ये विचार हमारे मन में साफ़ था- कि सभी लोग जुड़ना , connect होना चाहते हैं . तो हम बस दिन पर दिन आगे बढ़ते रहे .

मै जनता हूँ आपमें से कई की ( एक दिन) ऐसी हमारे जैसी कहानिया होंगी . दुनिया में एक ऐसा बदलाव जो इतना साफ़ दीखता है कि आपको यकीन होता है कि एक दिन कोई न कोई उसे ज़रूर पूरा करेगा . पर वो नहीं करेंगे . आप करेंगे .

पर सिर्फ अपना purpose होना ही काफी नहीं है . आपको दूसरो  के लिए भी sense of purpose का निर्माण करना होगा .

मुझे ये मुश्किल रास्तो से गुज़रकर पता चला . मुझे एक कंपनी बनाने की कभी उम्मीद नहीं थी , पर एक प्रभाव लाने की, बदलाव लाने की  थी . और जैसे जैसे इन सब लोगो ने हमसे जुड़ना शुरू किया , मैंने बस ये मान लिया कि उसी की ही परवाह वो भी करते हैं , तो मैंने कभी ये समझाने की कोशिश नहीं की कि मेरी क्या निर्माण करने की उम्मीद है .

कुछ सालो के बाद, कुछ बड़ी कंपनिया हमे खरीदना चाहती थी . पर मै बेचना नहीं चाहता था . मै ये देखना चाहता था की अगर हम कुछ और लोगो को जोड़ सके तो. हम सबसे पहली news feed बना रहे थे, और मुझे लगा कि अगर हम बस इसको launch कर पाए , तो हम दुनिया के बारे में कैसे जानते हैं ये उसको बदल देगा .

लगभग बाकि सभी लोग इसको बेचना चाहते थे. बिना किसी उच्च उद्देश्य के , purpose के , ये एक startup के सपने के साकार होने की कहानी थी . पर इसने हमारी कंपनी को तोड़ डाला . एक तल्ख़ बहस के बाद , एक advisor ने कहा कि अगर मैंने बेचने का निर्णय नहीं लिया , तो मै ज़िन्दगी भर अपने इस निर्णय पे पछताऊंगा . रिश्ते इतने खिच चुके थे की एक साल के अन्दर management team में से लगभग हर कोई चला गया था .

वो मेरा सबसे मुश्किल दौर था facebook को lead करने का . मुझे हम जो कर रहे थे उसपे विश्वास था , पर मै अकेला महसूस करता था . और इससे भी बुरी बात , ये सब मेरी गलती थी . मै  सोचता था कि कही मै गलत तो नहीं हूँ , एक 22 साल का बच्चा जिसको कोई समझ नहीं है कि  दुनिया कैसे चलती है .

अब, कई सालो बाद , मुझे समझ आया है कि दुनिया ऐसे चलती है जब हमारे पास कोई बड़ा "sense of purpose" नहीं होता है . ये हम पर निर्भर होता है कि हम उसका निर्माण करे जिससे कि हम सब साथ आगे बढ़ते रहे.

to be continued .......











Monday 29 May 2017

Happiness or Illusion


Happiness is perhaps the most elusive and amusing feeling on earth. Money gives one the ability to buy things but not the joy and luck/ privilege to use it.

A fellow friend’s supervisory professor recently lend her his new expensive tablet for her PhD Thesis work (maybe he wants to get rid of her soon 😁 ).

So you do not need money to use (read “access”) things .

People crave for expensive cars which are then driven by their drivers who in reality get the ultimate pleasure to drive them and the owner only has the (false) pride of possession:) .

Most elegant beds are present in those houses where people sleep on sleeping pills. 

A frustrated Post Graduation student yesterday said that he had been forced to take up the course due to some conditions. And after a cost benefit analysis (of course in monetary terms) of what he will gain after his degree he feels left out from the peers who took up jobs after B.tech. 

But I remembered meeting a professional few years ago who left his fat salary job in mid career to join an NGO as he felt “empty” inside even after a successful (“socially perceptible ”) career . The phenomenon called life is the funniest thing to observe.

PAULO COELHO INTERVIEW WITH OPRAH IN HINDI



Paulo Coelho, the bestseller author's gave an interview to Oprah Winfrey. Here are a few excerpts from the interview ....

पाउलो कोएल्हो , अलकेमिस्ट जैसी बेस्टसेलर किताब के लेखक के Oprah Winfrey को दिए साक्षात्कार के कुछ अंश। ......
जीवन का सबसे महत्वपूर्ण सवाल ये है कि  हम ये जान पाए की हमे जीवन से क्या चाहिए 

मुझे ये समझने में सालों लग गए की मुझे जीवन से क्या चाहिए।  मसलन मैं जानता था की मैं एक लेखक बन ना चाहता हूँ और मैं दुनिआ का सबसे ख्याति प्राप्त , सबसे प्रसिद्द लेखक बनना चाहता था।
पर केवल ये ही काफी नहीं है कि हमे पता चल जाए कि हमे क्या चाहिए , हमे जो चाहिए उस काम को करना भी शुरू करना होता है, हमे वो बनना भी पड़ता है।  तो लेखक का मतलब होता है जो कोई किताब लिखता है , उसी प्रकार जैसे एक बागवानी  करने  का मतलब होता है बगीचा।

पर अगर आप अपने माता पिता से बात करेंगे और अगर आप मेरी तरह एक मध्यम वर्ग से आते हैं और आप उनको बताते हैं कि आप बागवानी करना  चाहते हैं तो वो कहेंगे ---- तुम यूनिवर्सिटी जाओ , डिप्लोमा और डिग्री  लो और फिर तुम बागवानी अपने खाली  समय में, वीकेंड्स में कर सकते हो।  

पर तुम्हे तो पौधों से प्यार है , मिटटी से प्यार है और उन सबके साथ रहके तुम्हे दिन के अंत में जीने की वजह मिलती है।  पर ये उनके लिए नहीं है जो समझा रहे हैं और जो समझ रहे हैं और इस तरह वो अपने चारो तरफ एक निराशा और कुंठा का जाल बना  लेते हैं।  

मरने के बाद भगवान् का सबसे महत्वपूर्ण सवाल क्या होगा 

सवाल - आप उस इंसान  से क्या कहेंगे जो अपने जीवन के उद्देश्य को ढून्ढ रहा है ?

पाउलो - मै उनसे कहूंगा कि मै एक चीज़ की बहुत इज़्ज़त करता हूँ , और वो एक  चीज़ है - "रहस्य".
मै आपको दस हज़ार ऐसी वजह गिना सकता हूँ जो ये बता सके कि आप इस धरती पर क्यों हैं पर उनमे से एक भी सत्य नहीं होगा। हमारे यहाँ पर आने की असली वजह एक रहस्य ही है और हमारे मरने तक रहस्य ही रहता है।  हो सकता है उस दिन जब हम मरने के बाद ईश्वर से मिलेंगे तो मेरी राय में वो हमसे एक ही सवाल पूछेगा। परमेश्वर मुझसे ये नहीं पूछेगा कि मैंने कितने बुरे कर्म किये , क्या मैंने ये किया , वो किया। .. ईश्वर हमसे बस एक ही  सवाल पूछेगा --- कि क्या हमसे पूरी तरह से सृष्टि से प्रेम किया या  नहीं।  अगर किया तो तुम्हारा स्वर्ग में स्वागत है और अगर नहीं तो त्रिशंकु।  

Oprah - ये सवाल बहुत ही सुंदर है और इसका सम्बन्ध केवल रूमानी , romantic प्रेम से नहीं है मेरे लिए इसका मतलब है कि  क्या हमने अपने हृदय को पूरी तरह से खोला जिस से कि  हम जीवन के हर क्षण का आलिंगन कर सके।  क्या हमने पूरी  तरह से सबसे और सबको प्यार किया या नहीं 

सुनो की ये सृष्टि तुमसे क्या कहना चाहती है 

Oprah - मुझे ये बहुत  सुन्दर लगा की अलकेमिस्ट में  पूर्वाभासी संकेतो (omens ) की बात बहुत सुन्दर तरह से की गयी है।  ये पूर्वाभासी संकेत वो होते हैं जो हर जगह, हर समय होते हैं और हमारा मार्गदर्शन करते हैं ,  और कहानी का नायक अपनी यात्रा में , journey में , इन चिन्हो ( signs) को पढ़ना और उनके पीछे चलना सीख जाता है।  

पाउलो - आप  कैसे ये सीख सकते हैं ,  क्योंकि इस कला को कोई सिखा नहीं सकता।  इसलिए इस सांकेतिक भाषा को सीखने का केवल एक ही तरीका है , और वो तरीका है ---- गलतियां करके ,  और दूसरा ध्यान देने से।  

सृष्टि हमे सिखाने को है यहाँ , हमे जीवन में सही दिशा में ले जाने वाले चिन्ह ये हमे बताती चलती है, और अगर हम कभी गलत दिशा ले लेते हैं तो ये हमे सही करती है।  पर ये हम तभी सीख सकते हैं जब हम जीवन पर ध्यान देना शुरू कर देते हैं।  जब मैं बचपन में एक संतरे के पेड़ के नीचे खड़ा था तब मुझे ये अहसास हुआ की मैं जीवित हूँ और मैं प्रकृति के केंद्र में नहीं हूँ , मेरी अपनी सृष्टि के बाहर भी बहुत सारी चेतना है. 

अगर हम बड़ा सोचेंगे तो हमारी दुनिआ भी बड़ी हो जाएगी

अगर हम बड़ा सोचेंगे तो हमारी दुनिआ भी बड़ी हो जाएगी और अगर हमारी सोच छोटी होगी तो हमारी दुनिआ भी उतनी ही  सिकुड़ जाएगी

मैंने अपने जीवन में हर प्रकार की अजीब चीज़े की , सब कुछ किया , और फिर एक दिन मैं ये किताब लिख देता हूँ और ईमानदारी से कहूं तो ये मुझसे, मेरे सामर्थ्य से कहीं बेहतर है।  एक दिन आप कुछ ऐसा सृजन कर देते हैं ये ही तो पारस में बदल देते की असली कला है , और इस कला की संभावना हर किसी के अंदर है। .... 

सबसे महत्वपूर्ण आध्यात्मिक  गुण 

हिम्मत , साहस  सबसे ज़रूरी गुण है ,  और ये एक आध्यात्मिक गुण है जो की हमारे अंदर  होना चाहिए। हमे ईश्वर से आध्यात्मिक जुड़ाव की ज़रूरत नहीं है , हमे ये भी विश्वास रखने की ज़रूरत नहीं है कि  भगवान है पर हम में साहस होने की ज़रुरत है।  ये एक ऐसा  से दुनिआ की भाषा को समझा जा सकता है।
हम दुनिआ की भाषा में किस तरह से पारंगत हो सकते हैं - हिम्मत करके , दुःसाहस करके।  


एक  ऐसी कहानी जो अब तक नहीं बतायी 

2011 में मेरे एजेंट के एक मिलने वालो का देहांत हृदयाघात से हो गया।  तो उनको लगने लगा की  सब ही हृदय के रोग से मर जायेंगे।  उन्होंने सब पर टेस्ट्स करवाने का दबाव डाला।  

मैं हर दिन पैदल चलता था , स्वस्थ जीवन जीता था , खाता ज़्यादा नहीं था , प्रकृति के करीब रहता था पर फिर भी उनका दिल रखने के लिए मैंने वो टेस्ट  करवा लिए।  डॉक्टर ने कहा की मैं तीस दिन में मरने वाला हूँ। 

 मुझे किसी तरह का दिल में दर्द नहीं था , मुझे थकान नहीं होती थी।  फिर मैंने खुद से कहा की अगर मैं  कल ही मर भी जाऊ तो सबसे पहली बात तो ये है की मैंने अपना आधे से ज़्यादा  जीवन उस औरत के साथ व्यतीत किया जिस से मैं प्रेम  करता हूँ। मैंने जीवन में सब कुछ किया।  हर सीमा को तोड़ दिया , हर तरह का पागलपन किया।  और किसी चीज़ का भी पछतावा नहीं है क्यूकि मैं अपने सपनों  के लिए लड़ सका।  मैं एक लेखक बन ना चाहता था और वो मैं बना।  तो अगर मैं  कल मर भी जाऊँ तो कोई फर्क नहीं पड़ता।  और मैं किसी भी दिन मरुँ , उस ही अहसास के साथ मरना चाहता हूँ जो मुझे ३० नवम्बर 2011 को था। इस दुनिया में   कितने लोग हैं जो ऐसा कह सकते हैं।