Saturday 20 June 2020

कहानी- सेठजी की बेचैनी Story in Hindi



बहुत रात हो गई पर सेठजी को नींद नहीं आ रही थी । वह घर में चक्कर पर चक्कर लगाये जा रहे थे। पर चैन नहीं पड़ रहा था । आखिर थक कर सोचा कि थोड़ा टहल आएं ।

घर से निकल वो गलियों से हिट हुए पक्की सड़क पर चले जा रहे थे पर बेचैनी ख़त्म नही हो रही थी। तभी रास्ते में एक मंदिर दिखा सोचा थोड़ी देर इस मंदिर में जाकर भगवान के पास बैठता हूँ। प्रार्थना करता हूं तो शायद शांति मिल जाये।

सेठजी मंदिर के अंदर गए तो देखा, एक दूसरा आदमी पहले से ही भगवान की मूर्ति के सामने बैठा रट रट प्रार्थना किये जा रहा था।

सेठजी ने पूछा " क्यों भाई इतनी रात को मन्दिर में क्या कर रहे हो ?"

आदमी ने कहा " मेरा बच्चा अस्पताल में है, सुबह यदि उसका आपरेशन नहीं हुआ तो वह नही बचेगा और मेरे पास आपरेशन के लिए पैसा नहीं है ।

उसकी बात सुनकर सेठ ने जेब में जितने रूपए थे  वह उस आदमी को दे दिए। अब गरीब आदमी के चहरे पर चमक आ गईं थीं ।

सेठ ने अपना कार्ड दिया, और कहा इसमें फोन नम्बर और पता भी है और जरूरत हो तो निसंकोच बताना।

उस गरीब आदमी ने कार्ड वापिस दे दिया और कहा, "मेरे पास उसका पता है  इसलिए आपके पते की जरूरत नहीं है सेठजी" ।

आश्चर्य से सेठ ने पूछा "किसका पता?"

उस गरीब आदमी ने कहा,  " उस ईश्वर का जिसने मेरी करुण पुकार सुन रात को ढाई बजे आपको यहां भेजा ।"

अब सेठजी के अंदर की बेचैनी की जगह एक असीम शांति ने ले ली थी। 

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