जीवन मे भ्रम बहुत है सत्य कम है । जब आप चीज़ों को देखते हैं, घटनाओ को देखते हैं, लोगो को समझने की कोशिश करते हैं तब केवल उसके एक या दो पक्ष ही देख पाते हैं । उनको पूर्ण रूप से समझने के लिए हमे कई आयामो पर ध्यान देना होता है , जो कि मनुष्य के सामर्थ्य के बाहर होता है । पर समय और अनुभव के साथ अगर हमारे अंदर वो दृष्टि विकसित हो जाती है कि हम बहुआयामी सत्य को देख सकें, तो हम चीज़ों का विश्लेषण करना और उनके लिए judgemental होना, उनके सही या गलत होने पर निर्णय देना छोड़ देते हैं ।
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