अगर कभी कोई दम्भी और अभिमानी व्यक्ति आपको किसी लायक नहीं समझता या फिर जानबूझकर आपकी योग्यता को महत्व नहीं देता तो आप उसके व्यवहार से दुखी ना हों । बेहतर होगा कि आप ऐसे व्यक्ति की उपेक्षा करें (उस से नफरत नहीं)। बाकि के जो व्यक्ति आपके साथ अच्छा व्यवहार करते हैं आप उनपर ध्यान दें और अपने जीवन को सुख से जियें । अपने जीवन का रिमोट कंट्रोल किसी और के हाथ में ना दें , जो कि सामने वाले व्यक्ति के बटन दबाते ही आपको क्रोध आ जाए और आपका जीवन अस्त-व्यस्त हो जाए। ऐसे अनुचित व्यवहारों का समाधान (उपेक्षा के रूप में ) हमेशा अपने साथ रखें । और आप क्रोध, अभिमान और तनाव से मुक्त अपना जीवन आनंद में जियें ।
- पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी
हमें बचपन से यही सिखाया जाता है कि कभी किसी से बुरा मत बोलो क्योंकि इस से सामने वाले का दिल दुःख सकता है। Never hurt anyone.
यह बात बिल्कुल सत्य है क्योंकि शब्दों में बहुत ताकत होती है । Words have great power. यही बात हमारे व्यवहार पर भी लागू होती है। और हमें जीवन में पूरी कोशिश भी करनी चाहिए कि हम किसी को भी ठेस ना पहुचाएं ।
अब इसकी ही उलट बात देखें तो हम अपेक्षा करते हैं कि जीवन में सब हमसे अच्छा व्यवहार करें। क्योंकि अगर वो ऐसा नही करते तो हमारा भी दिल दुखता है।
इस सोच में कहीं ना कहीं हमने ये मान लिया है कि जैसे ही कोई हमसे बुरा व्यवहार करेगा, हमारा दिल तो दुखेगा ही।
हम सब के साथ जीवन में कई बार ऐसा होता है जब लोग हमें किसी लायक नही समझते या फिर हमसे उचित व्यवहार नही करते। वो सीधे सीधे हमारी उपेक्षा करते हैं, सिम्पली हमे इग्नोर करते हैं। These people ignore you.
ये हमारे अंदर गुस्से, frustration और नफरत को जन्म देता है। उनका मत, ओपिनियन, उनकी approval हमारे लिए इतनी बडी हो जाती है कि वो हमारी लाइफ को एफेक्ट करने लगती है। Their opinion affects your life.
हमेशा याद रखें कि दूसरों से अपेक्षा रखने का मतलब ही है कि आप अपने इमोशनल सपोर्ट के लिए उन पर निर्भर हैं। अपने जीवन की इस निर्भरता को ख़त्म कीजिये। आपका व्यक्तित्व अपने आप में पूर्ण होने चाहिए, किसी के तारीफ़ कर देने से या निंदा कर देने से आप एफेक्ट(affect) ना हों इस स्तिथि में पहुचने की कोशिश हमेशा हमें करनी चाहिए।
ऐसा तभी संभव है जब आप खुद का आंकलन evaluation अपने अंदर से करें ।
साथ ही साथ, हमें अपनी तारीफ से प्रभावित और आलोचना से दुखी या क्रोधित होना भी छोड़ना होगा।
1. अपनी कमियों पर हमेशा ही काम करते रहें, क्योंकि कोई भी इंसान परफेक्ट नही होता ।
Keep working on your self in life because no one is perfect.
2. आलोचना करने वालों से नफरत ना करें, उनकी बातों से आपको खुद को बेहतर बनाने के लिए अच्छे फीडबैक मिलेंगे।
Never hate your critics, they will give you good feedback to make yourself better.
3. अगर किसी का उद्देश्य आलोचना से ज़्यादा आपको ठेस पहुँ चाना या फिर आपकी इज़्ज़त ना करना या खिल्ली उड़ाना लगने लगे, तो आप समझ लें कि वो अंदर से आपसे डरा हुआ है या आपके प्रति कोई दुराग्रह रखे हुए है। ऐसे में आप उसके व्यवहार पर प्रतिक्रिया करना छोड़ दें।
If you feel that some people just want to disrespect you, then understand that they are afraid from inside and have prejudice against you. In this case, stop reacting on them
4. एक बार उस व्यक्ति से खुलकर बात जरूर करके देखें कि आखिर उसको आपसे दिक्कत क्या है। अगर आपको लगे कि इस से कोई फायदा नही हो रहा तो फिर दोबारा कोशिश ना करें।
For once, try to talk to these people if it can resolve the differences. If this does not work, then do not try again
5. कोई और भी आपको आकर ये बताये कि अमुक व्यक्ति आपकी बुराई कर रहा है तो बस मुस्कुरा दें। आपके चरित्र की महानता और बुराई करने वाले की दुर्बलता यहीं से दिखनी शुरू हो जाते है सबको।
Even when someone else tells you that someone speaks bad about you, simply smile and leave the scene. This is where the greatness of your character begins to show.
वास्तव में ऐसी स्तिथि प्राप्त कर लेना जीवन भर की तपस्या होती है। ये दूसरे के लिए कम, बल्कि आपके अपने लिए ज़्यादा होती है। इसके अंत में आप एक चिरः आनंद की स्तिथि में होते हैं जिस को कोई आपसे छीन नही सकता।
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